ये लाल रंग क्यूँ इतना पसंद है तुझे?
मैं नहीं जानती क्यूँ
..... शायद इसलिए की ये रंग कुछ बदल देता है
माहौल, मौसम ,कैफियत ... या शायद सब कुछ!
सवेरे सवेरे नहा के आई माँ के माथे पर
चमकती लाल बिंदी और सुर्ख लाल सिन्दूर
एक जान सी भर देता है घर में.....
या एक बंजारन की बिटिया
जब अपनी माँ की लाल ओढ़नी अपनी गुडिया को ओढाती है
उसके चेहरे की चमक कुछ अलग ही हो जाती है...
मेरी छोटी सी बगिया एक लाल गुलाब से
खिल उठती है , उसकी महक बदल जाती है....
घनघोर अँधेरे के बाद उगता लाल सूरज
संसार के कैनवस पर भर देता है रोशनी का लाल रंग...
वैसे ही जैसे मेरी लाल पेंसिल
ज़िन्दगी के कैनवस पर ढुलका देती है
ज्ञान की रक्तिम ज्योति
एक आभा जो बदल देती है ....जीवन
उसका माहौल, मौसम , कैफियत... सब कुछ...
March 3, 2005
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